Monday, September 25, 2017
Wednesday, September 20, 2017
Tuesday, April 25, 2017
अब हार ही चुकी हूँ मैं, ऐ-तक़दीर तुझसे लड़ते-लड़ते...
अब हार ही चुकी हूँ मैं
ऐ-तक़दीर तुझसे लड़ते-लड़ते
ज़िन्दगी मेरे संग मुस्कुराती नहीं
मौत तू भी मुझे गले लगाती नहीं
कि किस डगर चलूं बता
कोई तो राह होगी मेरे लिए भी
की हर रोज़ एक उम्मीद से उठती हूँ
और हर शाम टूट कर बिखर जाती हूँ
देखा है अँधेरा इतना
की अब डर नहीं लगता है
ना मुस्कुराहटों से रिश्ता है
ना आंसुओं से कोई नाता है
अब तो खुद को भी जैसे
भूलने सी लगी हूँ मैं
की गर कल ना मिली कहीं
पता भी मेरा पूछना नहीं
की अब हार चुकी हूँ मैं
ऐ-तक़दीर तुझसे लड़ते-लड़ते...
ऐ-तक़दीर तुझसे लड़ते-लड़ते
ज़िन्दगी मेरे संग मुस्कुराती नहीं
मौत तू भी मुझे गले लगाती नहीं
कि किस डगर चलूं बता
कोई तो राह होगी मेरे लिए भी
की हर रोज़ एक उम्मीद से उठती हूँ
और हर शाम टूट कर बिखर जाती हूँ
देखा है अँधेरा इतना
की अब डर नहीं लगता है
ना मुस्कुराहटों से रिश्ता है
ना आंसुओं से कोई नाता है
अब तो खुद को भी जैसे
भूलने सी लगी हूँ मैं
की गर कल ना मिली कहीं
पता भी मेरा पूछना नहीं
की अब हार चुकी हूँ मैं
ऐ-तक़दीर तुझसे लड़ते-लड़ते...
Sunday, March 5, 2017
मुझे प्यार नहीं करना...
आंसू ही है अगर बस प्यार
मुझे प्यार नहीं करना
हरपल मिले अगर इलज़ाम
मुझे प्यार नहीं करना
अगर देना है सिर्फ इम्तेहान
मुझे प्यार नहीं करना
इजाज़त नहीं कि तुझे महसूस करूं
मुझे प्यार नहीं करना
मिले सिर्फ बंदिशें जज़्बातों को
मुझे प्यार नहीं करना
जीना ही है अगर तन्हाइयों में
मुझे प्यार नहीं करना
जलना ही है सिर्फ इंतज़ार में
मुझे प्यार नहीं करना
तड़पना ही है बस इस हाल में
मुझे प्यार नहीं करना
आंसू ही है अगर बस प्यार
मुझे प्यार नहीं करना...
मुझे प्यार नहीं करना
हरपल मिले अगर इलज़ाम
मुझे प्यार नहीं करना
अगर देना है सिर्फ इम्तेहान
मुझे प्यार नहीं करना
इजाज़त नहीं कि तुझे महसूस करूं
मुझे प्यार नहीं करना
मिले सिर्फ बंदिशें जज़्बातों को
मुझे प्यार नहीं करना
जीना ही है अगर तन्हाइयों में
मुझे प्यार नहीं करना
जलना ही है सिर्फ इंतज़ार में
मुझे प्यार नहीं करना
तड़पना ही है बस इस हाल में
मुझे प्यार नहीं करना
आंसू ही है अगर बस प्यार
मुझे प्यार नहीं करना...
Tuesday, January 24, 2017
आ तेरी लक़ीरों में, लिख दूँ अपना नाम...
आ तेरी लक़ीरों में
लिख दूँ अपना नाम
प्यार दूँ तुझे इतना
कम लगे सुभो शाम
ना हों ज़माने की कोई
बंदिशें हमारे दरमियां
आ जी लें हम हर लम्हा
एकदूजे में कई सदियाँ
बस निगाहों से हो बातें
और गुनगुनाए खामोशियाँ
मिल जाए रूह से रूह
दूरियों का ना हो नामो निशाँ
लिपटे रहें एकदूजे में ऐसे
जैसे भूल जाएँ सारा जहां
हो जाए मुक़्क़म्मल इश्क़
या हो जाए बस यूँ ही फ़ना...
लिख दूँ अपना नाम
प्यार दूँ तुझे इतना
कम लगे सुभो शाम
ना हों ज़माने की कोई
बंदिशें हमारे दरमियां
आ जी लें हम हर लम्हा
एकदूजे में कई सदियाँ
बस निगाहों से हो बातें
और गुनगुनाए खामोशियाँ
मिल जाए रूह से रूह
दूरियों का ना हो नामो निशाँ
लिपटे रहें एकदूजे में ऐसे
जैसे भूल जाएँ सारा जहां
हो जाए मुक़्क़म्मल इश्क़
या हो जाए बस यूँ ही फ़ना...
Tuesday, December 6, 2016
है ज़ख्मो से छलनी, तू सहलाने की कोशिश ना कर...
तू सहलाने की कोशिश ना कर
तोड़ के इस दिल को मेरे
तू बहलाने की कोशिश ना कर
जीने दे मुझे अब तनहा
तू समझाने की कोशिश ना कर
पत्थऱ बना के मुझे
तू पिघलाने की कोशिश ना कर
हो गई राहें अब जुदा
तू मिलाने की कोशिश ना कर
उलझ गई रिश्तों की डोर जो
तू सुलझाने की कोशिश ना कर
बंद हो गए दरवाज़े दिलों के
तू खटखटाने की कोशिश ना कर
थमी हुई अब धड़कन को मेरी
तू फिर धड़काने की कोशिश ना कर
है ज़ख्मो से छलनी
तू सहलाने की कोशिश ना कर...
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