Dastaan Ye Dil Ki

Monday, August 31, 2015

अँधेरों ने ही साथ नहीं छोड़ा है...

सवाल बस अब इतना है
कि ऐतबार करूँ तो किसका
मौत मुझे आती नहीं
और ज़िंदगी साथ निभाती नहीं
आँसुओं से दामन हरपल भीगा है
मुस्कुराहटों ने जाने मुँह क्यों मोड़ा है
तनहाइयों से रिश्ता बड़ा गहरा है
सबने छोड़ा बस अँधेरों ने ही साथ नहीं छोड़ा है...

Sunday, August 30, 2015

धड़कनें धड़कना भूल ना जाएँ कहीं...

आ भर ले अपनी बाहों में
कि तेरे बिना अब जी ना सकूँगी
इस दर्द-ए-जुदाई का ज़हर
अब मैं और पी ना सकूँगी

तू इस कदर मुझमें समाया है
कि अब साँस भी तेरे बिना ले ना सकूँगी
दिल मेरा हरपल तड़प रहा है तेरे लिए
आजा कि साँसें थम ना जाएँ कहीं
ये धड़कनें भी धड़कना भूल ना जाएँ कहीं...

Friday, August 28, 2015

तू ही मेरा जीवन...

ओ मेरे हमदम
बिन तेरे
है हरपल आँखें मेरी नम
जो तू नहीं
दर्द में डूबा है हर मौसम

ओ मेरे सनम
तू मेरा सबकुछ
तुझसे है हर ख़ुशी तुझसे ही हर गम
तू दिलबर मेरा
तू ही मेरी आशिक़ी तू ही मेरा जीवन...

Thursday, August 27, 2015

इसी पल मुझे मरना है...

पलकों के चिलमन तले
तेरी तस्वीर छुपाई है
मन के आईने में तुझे देख
मेरी प्रीत हौले से मुस्काई है 
तेरे ख्यालों ने ना जाने
मेरी ज़िन्दगी में कितने रंग बिखेरे हैं
और तेरी मुहौब्बत की खुशबू से
महका मेरा ये जीवन है 
अब बस तेरी बाहों में
टूटकर बिखरना है
यूँ तिल-तिल अब और नहीं जलना है
बस अब तेरे संग जीना नहीं तो
इसी पल मुझे मरना है...

Wednesday, August 26, 2015

मैं तो अब तेरी आत्मा तेरी रूह में हूँ...

तुझसे दूर नहीं हूँ
मैं तो तेरी धड़कन में हूँ
महसूस तो कर के देख
मैं तो तेरी साँसों में हूँ

पलकें भी जो बंद कर ले गर तू
मैं तो बसी तेरे हर ख्वाब में हूँ
ना समझना अलग हूँ तुझसे
मैं तो अब तेरी आत्मा तेरी रूह में हूँ...

Monday, August 24, 2015

जो नींद नहीं आँखों में मेरी...

जो नींद नहीं आँखों में मेरी
तू भी तो मेरे साथ के लिए तड़पता है
जो जल रही हूँ मैं विरह की आग में
तू भी तो तिल-तिल मेरी चाहत में जलता है
 
दर्द अगर मुझको सताता है
तेरी भी टीस का एहसास तो दिलाता है
गर डूब गई है मेरी चाहत गमे उल्फ़त में
तू भी तो तनहाई को हरपल गले लगाता है...

Saturday, August 22, 2015

मुहौब्बत अधूरी ही क्यों होती है...

तेरी खुशबू आज भी मेरी साँसों में है
तेरे स्पर्श का एहसास
अब भी मेरे रोम रोम में है
मेरी नज़रें तेरे सिवा
किसी और को ढूंढती ही नहीं
अधूरे हैं मेरे हर ख़्वाब
जो तू नहीं मेरे ख़्वाबों में..

दिल ने तुझे अपनी धड़कन बना लिया
मन के मंदिर में तुझको सजा लिया
अब आँखों में नमी हो या लबों पे हँसी
तू ही मेरी आरज़ू तू ही मेरी ज़िन्दगी
ये मुहौब्बत जितना दर्द देती है
तड़प उतनी ही गहरी होती है
मिल जाए तो ज़िन्दगी बहुत हसीन होती है
पर जाने ये मुहौब्बत अधूरी ही क्यों होती है...

Wednesday, August 19, 2015

अब ठंडी होने दे मेरे राख़ को...

तेरी बेरुखी ने मुझे पत्थर बना दिया
हर हंसी को आँखों की नमी 
और ज़िन्दगी को मौत से बदत्तर बना दिया...
तेरे अहम ने मेरी मुहौब्बत की चिता जला दी
अब सुलगते हुए मेरे जज़्बात पर 
अपने हाथ तो न सेंक...
है बस अब इतनी  सी इल्तज़ा 
की बस अब ठंडी होने दे मेरे राख़ को...

Friday, August 14, 2015

तेरी ईबादत में मरना चाहती हूँ...

ना तेरी आँखों का आँसू
ना तेरे दिल का दर्द बनना चाहती हूँ..
मैं बन के खुशबू तेरी साँसों में घुलना चाहती हूँ
तेरे दिल तेरी हर धड़कन को छूना चाहती हूँ..
मैं बस तेरी हूँ
तेरे इश्क़ में जीना और..
तेरी ईबादत में मरना चाहती हूँ...

Wednesday, August 12, 2015

तेरी आँखों में...

तेरी आँखों में अपना चेहरा
मैं हरपल देखना चाहती हूँ
तेरे लबों से अपना नाम
मैं हज़ारों बार सुनना चाहती हूँ

तेरे ख़्वाबों में  हरपल रहना
और तेरे ही ख़्वाब मैं देखना चाहती हूँ
तुझे बनाकर अपनी तक़दीर
मैं तेरी क़िस्मत बनना चाहती हूँ

तुझे अपने रोम रोम में
मैं बसाना चाहती हूँ
तेरे स्पर्ष से ख़ुद को
मैं संवारना चाहती हूँ

तेरी दिल की धड़कन
बन मैं धड़कना चाहती हूँ
बस तेरे लिए जीना और
तेरी ही चाहत में तड़पना चाहती हूँ...

Friday, August 7, 2015

मेरी मुहौब्बत इतनी मज़बूर है क्यों...

कभी पास तो कभी दूर है क्यों
मेरी मुहौब्बत इतनी मज़बूर है क्यों...
कभी हँसी तो कभी आँखों की नमी है क्यों
तू साथ है मेरे पास है फिर भी तेरी ही कमी है क्यों...


Wednesday, August 5, 2015

ये दिल..

 ये दिल..   
ना अब हँसना चाहता है
ना रोना चाहता है
बस अब तो खुद में ही गुम होना चाहता है
ना अब कुछ पाने को मचलता है
ना कुछ खोने से डरता है 
बस अब तो इन तनहाइयों को ही अपना साथी समझता है                      
ना अब  किसी के नाम पर धड़कता है
ना  किसी की साँसों में महकता है   
बस अब तो अपनी आखिरी साँस को ही तरसता है...

Tuesday, August 4, 2015

ऐ चाँद मुझे तू...

ऐ चाँद मुझे तू इतनी हसीन एक रात देना
हो ख़्वाब तो ख़्वाब सही पर हाथों में उनका हाथ देना..
लबों को लफ्ज़ नहीं पर साँसों को दिल की आवाज़ देना
बिखरी हो तेरी चाँदनी जहाँ तक मेरी मुहौब्बत को अपनी पनाह देना...

Monday, August 3, 2015

मैं एक कतरा भी नहीं...

मैं एक कतरा भी नहीं, और तिनका भी नहीं  
मैं एक साया भी नहीं, और हकीकत भी नहीं
मैं तेरी किस्मत भी नहीं,और तेरे हाथों की रेखा भी नहीं..
मैं तुझे तकलीफ देती हूँ, और अश्क देती हूँ
मैं तुझे ज़ख्म देती हूँ, और बहुत दर्द देती हूँ
मैं तेरी भी नहीं हूँ, और खुद की भी नहीं
मैं तुझमें से खुद को मिटा देना चाहती हूँ
और तुझे तेरी मुस्कुराहट लौटा देना चाहती हूँ..
तू भूल जाए मुझे दुआ करती हूँ
और भुला सके मेरी गलतियों को यह इल्तज़ा करती हूँ         
गर फिर भी याद आ जाऊँ कभी मन उदास ना करना
तेरी मुस्कराहट एहसान होगी, मुझपर यह एहसान ज़रूर करना...