Dastaan Ye Dil Ki

Tuesday, January 19, 2016

हो जाऊँ फ़ना अब तो तेरी उल्फत में...

तेरे इश्क़ की  ख़ुमारी से
अब फुर्सत नहीं मिलती
तेरी क़ुर्बत में ही अब तो
जन्नत है मुझे मिलती

हसरत-ए-इस-दिल की
चाहत है बस तू ही
ख़्वाहिश-ए-हर-आरज़ू की
अब मन्नत है बस तू ही

मिल गया जो हक़ मुझे
तुझे इश्क़ करने का खुदा से
गुमान मुझे तो अपने
मुक्क़द्दर पर हो गया

खोई रहूँ अब तो बस
हर लम्हा मैं तेरी मुहौब्बत में
है आरज़ू यही कि बस
हो जाऊँ फ़ना अब तो तेरी उल्फत में...