Dastaan Ye Dil Ki

Tuesday, July 19, 2016

डर लगता है, बहुत डर लगता है..

अब बस टूट के बिखर जाऊँ तो अच्छा है
फिर से रिश्तों में बंधने से डर लगता है
अब तो खामोश ही हो जाऊं तो अच्छा है..
की अपनों के तानों से बहुत डर लगता है..

अब बस अंधेरों में खो जाऊँ तो अच्छा है
फिर से उजालों में आने से डर लगता है..
अब तो खुद को मिटा दूँ तो अच्छा है
कि अब अपने ही साये से बहुत डर लगता है..

अब बस टूट के बिखर जाऊँ तो अच्छा है
फिर से रिश्तों में बंधने से डर लगता है..

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