ख़्वाब बन के आया था तू
क्यों याद बन के रह गया
मेरी दुआओं में क्यों तू
बस फ़रियाद बन के रह गया
टूटती नहीं कभी जो
वो आस बन क रह गया
जिस्म में बची बस आखरी
जैसे साँस बन के रह गया
छू लेती क़ाश कभी मैं
पर तू एहसास बन के रह गया
गाती जो गीत मैं उस धुन की
तू बस साज़ बन के रह गया
गूंजती है कानों में हरदम जो
वो आवाज़ बन के रह गया
मेरी मुहौब्बत का ज़वाब था तू
फिर क्यों एक सवाल बन के रह गया...
क्यों याद बन के रह गया
मेरी दुआओं में क्यों तू
बस फ़रियाद बन के रह गया
टूटती नहीं कभी जो
वो आस बन क रह गया
जिस्म में बची बस आखरी
जैसे साँस बन के रह गया
छू लेती क़ाश कभी मैं
पर तू एहसास बन के रह गया
गाती जो गीत मैं उस धुन की
तू बस साज़ बन के रह गया
गूंजती है कानों में हरदम जो
वो आवाज़ बन के रह गया
मेरी मुहौब्बत का ज़वाब था तू
फिर क्यों एक सवाल बन के रह गया...