Saturday, September 5, 2015
Friday, September 4, 2015
Thursday, September 3, 2015
खोलूँ जो इन आँखों को...
खोलूँ जो इन आँखों को
नज़रें बस तुझे ही ढूँढती है
जो कह दे तो बंद कर लूँ इन्हें
पर फिर भी ख़्वाब तो तेरे ही बुनती हैं
दिल ढूँढता बस अब तो
हरघड़ी तेरे कदमों की आहट है
कि तू ही है अब तो जीने की वज़ह
और तू ही इन लबों की मुस्कुराहट है
तेरी मुहौब्बत तो जैसे अब
पूजा है मेरी और ईबादत है मेरी
कि तेरे इश्क़ में जीना ही बस
अब तो जैसे आदत है मेरी...
नज़रें बस तुझे ही ढूँढती है
जो कह दे तो बंद कर लूँ इन्हें
पर फिर भी ख़्वाब तो तेरे ही बुनती हैं
दिल ढूँढता बस अब तो
हरघड़ी तेरे कदमों की आहट है
कि तू ही है अब तो जीने की वज़ह
और तू ही इन लबों की मुस्कुराहट है
तेरी मुहौब्बत तो जैसे अब
पूजा है मेरी और ईबादत है मेरी
कि तेरे इश्क़ में जीना ही बस
अब तो जैसे आदत है मेरी...
Wednesday, September 2, 2015
Tuesday, September 1, 2015
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