तेरी आँखें ही तो है
दर्पन मेरा
तेरी साँसें ही तो है
जीवन मेरा
तेरी चाहत ही तो है
सपना मेरा
तेरी ईबादत ही तो है
जीना-मरना मेरा
रूह में यूँ बसा लिया तुझे...
कि अब और कोई मुझे
आरज़ू ही नहीं
पास हो तू या दूर हो मुझसे
कि अब तो रब से भी मुझे
कोई शिक़वा ही नहीं
कि ऐ सनम अब बस
तेरी इबादत ही तो है
जीना-मरना मेरा...
दर्पन मेरा
तेरी साँसें ही तो है
जीवन मेरा
तेरी चाहत ही तो है
सपना मेरा
तेरी ईबादत ही तो है
जीना-मरना मेरा
रूह में यूँ बसा लिया तुझे...
कि अब और कोई मुझे
आरज़ू ही नहीं
पास हो तू या दूर हो मुझसे
कि अब तो रब से भी मुझे
कोई शिक़वा ही नहीं
कि ऐ सनम अब बस
तेरी इबादत ही तो है
जीना-मरना मेरा...