Dastaan Ye Dil Ki

Tuesday, December 29, 2015

तू कल भी बेवफा था तू अब भी बेवफा है...

तू कल भी बेवफा था
तू अब भी बेवफा है
किया जो तुझपे यकीन
वो तो मेरी ख़ता है
तुझसे इश्क़ करने की
मिली क्या खूब ये सज़ा है
आग में जितनी तपिश नहीं
उतनी तपन मेरे जज़्बातों की चिता में है बरसात में जितनी नमी नहीं
उतनी बिलखते हुए मेरे अरमानों में है
तू क्या समझेगा मेरी मुहौब्बत को
तुझे महफिलें सजाने से फुर्सत नहीं
तू क्या देखेगा मेरे अश्कों को
तुझे औरों के संग मुस्कुराने से फुर्सत नहीं
जब अंगारों पे चल रही थी मैं
तूने दामन छुड़ा लिया
राह में काँटे क्या मिलने लगे
तूने तो रिश्ता ही भुला दिया
जा मुबारक़ हो तुझको तेरी बेवफाईयां
मैं खुश हूँ पाकर तुझसे मिली ये तन्हाईयाँ
तू कल भी बेवफा था
तू अब भी बेवफा है... 

Thursday, December 10, 2015

अब खामोशियों से कह दो...

अब खामोशियों से कह दो
कि वो भी खामोश हो जाए
अब बस बहुत थक चुकी हूँ मैं

जूझते जज़्बातों से कह दो
कि ख़्वाहिश ना रखे कोई
अब टुकड़ों में टूट चुकी हूँ मैं

बिखरते हुऐ रिश्तों से कह दो 
कि जुड़ने की आस ना रखे कोई
अब तनहाइयों में खो चुकी हूँ मैं

धड़कते हुए इस दिल से कह दो
कि धड़कनों में आवाज़ ना रखे कोई
अब मौत के साये में सो चुकी हूँ मैं

अब खामोशियों से कह दो
कि वो भी खामोश हो जाए...

Friday, December 4, 2015

कोई साथ नहीं निभाता है...

सच है जब बुरा वक़्त आता है
कोई साथ नहीं निभाता है
अपनी लड़ाई तो आप ही लड़नी पड़ती है
साथी की बेवफाई और रुस्वाई सहनी पड़ती है
हँसी के पलों में हम जिनका
हाथ थाम इठलाया करते थे हम
भुला के सारी दुनिया को
जिनकी बाहों में सिमट जाया करते थे हम
आज तनहा खड़े उन्हीं राहों में
दूर तक उन्हें ढूँढा करते हैं हम
बेदर्द बन मुँह फेरे  बैठे हैं वो
थम के हाथ जिनका दर्द बांटा करते थे हम
हँसे की रोयें ये भी पता नहीं
गम  ही गम है ख़ुशी का आता-पता नहीं
अब बस यही सच है जीवन का
इससे बड़ा कोई सत्य वचन नहीं
कि जब बुरा वक़्त आता है
कोई साथ नहीं निभाता है...

Tuesday, December 1, 2015

मुहौब्बत का क़त्ल करती नफरत नज़र आती है...


तेरी दुआ में भी अब तो बददुआ नज़र आती है
मुहौब्बत का क़त्ल करती नफरत नज़र आती है
सच और झूठ के जंग में जज़्बात दम तोड़ती नज़र आती है
टूट कर टुकड़ों में बिखरती अपनी तक़दीर नज़र आती है
     
ज़र्रे ज़र्रे से सिसकती हुई बेवफा एक परछाईं नज़र आती है
सहमी सी खौफ के साये में लिपटी तरसती हुई जुदाई नज़र आती है
बेरहम इस इश्क़ में मिली दिलबर की रुसवाई नज़र आती है   
काली अँधियारी रातियों में दूर तक फैली सिर्फ तन्हाई नज़र आती है

तेरी दुआ में भी अब तो बददुआ नज़र आती है
मुहौब्बत का क़त्ल करती नफरत नज़र आती है...

Thursday, November 26, 2015

कि अब भी अधूरी हमारी कहानी है..

आ लिख दे मुझे की तेरी कहानी हूँ मैं
तू प्यार का सागर तुझमें बहता पानी हूँ मैं
तू चमकता चाँद बिखरी हुई तेरी चाँदनी हूँ मैं
तू प्रेम का बैरागी और तेरी बैरागिनी हूँ मैं
                             
जाने कितने जन्मों की तपस्या मेरी बाकी है    
नसीब में लिखी जाने कितनी रातें काली है
पिया मिलन को तड़पती जन्मों से ये साँसें है  
रोम रोम है सिसकती और भरती लंबी आहें है
                                        
जन्मों के मेरे इंतज़ार का बता सिला क्या है
दर्द ही दर्द है बस.. और हमें मिला क्या है
बदल दे ये तक़दीर की तेरे संग बितानी ज़िंदगानी है    
लिख दे मुझे पूरा..कि अब भी अधूरी हमारी कहानी है..

Friday, November 20, 2015

अब तो तुझमें खो जाने की चाहत है मेरी...

नज़रों से दूर सही
दिल के बहुत पास है तू
बिखरी हुई इस ज़िन्दगी में
मेरे जीने की आस है तू

दूर होगा भी तो कैसे
तुझसे जुड़ी मेरी हर साँस है
मेरी खामोशियों से पूछ तो
वो सुनती हर लम्हा तेरी आवाज़ है

तू इश्क़ नहीं मेरा
तू तो इबादत है मेरी
तुझे पाने की ज़िद नहीं
अब तो तुझमें खो जाने की चाहत है मेरी...


Thursday, October 22, 2015

ढलती शाम में बुझती हुई एक लौ सी हूँ मैं...

खुद को तेरी नज़रों में
देखने को हरघड़ी तड़पती हूँ मैं
सिमटने को तेरी बाहों में
पल पल मचला करती हूँ मैं

जुड़ी है हर साँस तुझसे
की बिन तेरे तिल तिल जलती हूँ मैं
बातें जो मैं कह ना सकी तुझसे
ख्वाबों में कई बार वो तुझसे किया करती हूँ मैं

ज़िन्दगी बिखरी और बेजान सी है
जो तेरे संग तेरे पास नहीं हूँ मैं
और दूर तक फैले रेगिस्तान सी है
जिसमें रुंधती हर लम्हा तेरी यादों से हूँ मैं

तुझे शायद एहसास भी नहीं
जो तू नहीं ज़िंदा नहीं एक लाश सी हूँ मैं
और कोई जीने की वजह मेरे पास है भी नहीं
अब तो ढलती शाम में बुझती हुई एक लौ सी हूँ मैं...



Wednesday, October 14, 2015

अंजाम-ए-मुहौब्बत से ज़रा कोई मुझे भी रूबरू करा दे...

क्यों दिल सिर्फ तेरा
इंतज़ार करता है
क्यों हर आहट मुझे तेरे    
आने का एहसास दिलाती है
क्यों धड़कन सिर्फ तेरे
नाम पर धड़कती है   
क्यों नज़र सिर्फ और सिर्फ
तेरे दरस को तरसती है... 
इन सवालों का कोई तो
मुझे बस जवाब दिला दे
गर सिर्फ ख़्वाब नहीं
हकीक़त भी होती है मुहौब्बत
तो अंजाम-ए-मुहौब्बत से ज़रा कोई तो
मुझे भी रूबरू करा दे...

Friday, October 9, 2015

एक दिन माटी में मिल जाऊंगी...

एक दिन माटी में मिल जाऊंगी
जल कर राख हो जाउंगी
तब जो छूने की कोशिश करोगे
हाथ में सिर्फ काले रंग दे जाऊंगी

आज जो साँसें चलती हैं  मेरी
तुझे मेरे वज़ूद का एहसास नहीं
आज जो सामने हूँ मैं तेरे
तेरे पास मेरी पीड़ा का इलाज नहीं

एक दिन खामोश हो जाऊंगी
मैं अंधेरों के दामन में सो जाऊंगी
तब जो मेरी आवाज़ सुनने की कोशिश करोगे
मैं तुम्हें  सिर्फ अपनी खामोशियाँ दे जाऊंगी

एक दिन माटी में मिल जाऊंगी
जल कर राख हो जाउंगी...




Tuesday, October 6, 2015

है रात बहुत काली...


है रात बहुत काली मुझे भोर दिखा दे कोई
मुस्कुराहट है खफ़ा-खफ़ा आँखें जाने क्यों इतना रोई                                             
गर देखती तो ख़्वाब सच भी हो जाते शायद 
पर मेरी अँखियाँ बेचारी तो रात भर ना सोई
है रात बहुत काली मुझे भोर दिखा दे कोई

इस अँधियारी रतिया से कह दो यूँ ना मुझे डराए                                     
अब और कोई भरम दे के झूठ को सच तो ना बताए                   
मिलते नहीं चाँद सितारे जाए जा के किसी और को बहलाए
इस अँधियारी रतिया से कह दो यूँ ना मुझे डराए        

है अमावस की रात ज़रा दीपक तो जला दे कोई
हाँ ज़रा भटक गई हूँ थाम के हाथ ज़रा राह  दिखा दे कोई                                      
छुप गई है रौशनी ओढ़ के काली चद्दर 
गहराते इन रंगों से कह दे कि ना लिखे वो मेरा मुक्कद्दर 
है रात बहुत काली मुझे भोर दिखा दे कोई
है अमावस की रात ज़रा दीपक तो जला दे कोई
है रात बहुत काली मुझे भोर दिखा दे कोई

Saturday, September 5, 2015

हाँ इश्क़ है ये...

नींद आती नहीं
चैन आता नहीं
बिन देखे तुझे
ये दिल करार पाता नहीं
रात होती नहीं
सुबह का पता नहीं
हाँ इश्क़ है ये
किसी की ख़ता नहीं
बिना दर्द दिए
इस ज़ालिम को मज़ा आता नहीं
जो लग जाए ये रोग
तो फिर कभी जाता नहीं
जान जाए तो जाए
नशा इसका कोई उतार पाता नहीं
हाँ इश्क़ है ये
इसके जैसा कोई दूसरा नशा नहीं...

Friday, September 4, 2015

एक नया अफ़साना बना दें...

तेरी धड़कनों में अपना नाम
सुन के चहकने लगी हूँ
तेरी साँसों में अपनी खुशबु
महसूस करके बहकने लगी हूँ

तेरे छुअन के एहसास से
मेरे अंग अंग में सिहरन सी उठी है
दिल में हर लम्हा अब तो
तेरे साथ की अगन सी उठी है

भुला के सारी दुनिया को
चल एक नया आशियाना बना लें
आ हम अपनी मुहौब्बत का
एक नया अफ़साना बना दें




Thursday, September 3, 2015

खोलूँ जो इन आँखों को...

 खोलूँ जो इन आँखों को
नज़रें बस तुझे ही ढूँढती  है
जो कह दे तो बंद कर लूँ इन्हें
पर फिर भी ख़्वाब तो तेरे ही बुनती हैं

दिल ढूँढता बस अब तो
हरघड़ी तेरे कदमों की आहट है
कि तू ही है अब तो जीने की वज़ह
और तू ही इन लबों की मुस्कुराहट है

तेरी मुहौब्बत तो जैसे अब
पूजा है मेरी और ईबादत है मेरी
कि तेरे इश्क़ में जीना ही बस
अब तो जैसे आदत है मेरी...

Wednesday, September 2, 2015

पल-पल चुभती ये तनहाई है..

बिखरी हुई इस चाँदनी ने
तेरी चाहत की शबनम बरसाई है
समा जा अब मुझमें कि
बस अब तो तेरी ही ख़ुमारी छाई है

तेरे प्यार के एहसास ने
मेरे रोम-रोम में आग लगाई है
अरमान मचल-मचल रहे हैं
और पल-पल चुभती ये तनहाई है...

Tuesday, September 1, 2015

आ करीब मेरे...

आ करीब मेरे कि हर साँस
बस अब तुझे बुला रही है
धड़कनें भी मेरी अब तो
बस तेरा नाम पुकार रही हैं

आँखों की नमी और होठों की हँसी
बस तेरे दीदार को तरस रही है
हर लम्हा चुभती ये जुदाई
बस अब तेरे एहसास को तड़प रही है...

Monday, August 31, 2015

अँधेरों ने ही साथ नहीं छोड़ा है...

सवाल बस अब इतना है
कि ऐतबार करूँ तो किसका
मौत मुझे आती नहीं
और ज़िंदगी साथ निभाती नहीं
आँसुओं से दामन हरपल भीगा है
मुस्कुराहटों ने जाने मुँह क्यों मोड़ा है
तनहाइयों से रिश्ता बड़ा गहरा है
सबने छोड़ा बस अँधेरों ने ही साथ नहीं छोड़ा है...

Sunday, August 30, 2015

धड़कनें धड़कना भूल ना जाएँ कहीं...

आ भर ले अपनी बाहों में
कि तेरे बिना अब जी ना सकूँगी
इस दर्द-ए-जुदाई का ज़हर
अब मैं और पी ना सकूँगी

तू इस कदर मुझमें समाया है
कि अब साँस भी तेरे बिना ले ना सकूँगी
दिल मेरा हरपल तड़प रहा है तेरे लिए
आजा कि साँसें थम ना जाएँ कहीं
ये धड़कनें भी धड़कना भूल ना जाएँ कहीं...

Friday, August 28, 2015

तू ही मेरा जीवन...

ओ मेरे हमदम
बिन तेरे
है हरपल आँखें मेरी नम
जो तू नहीं
दर्द में डूबा है हर मौसम

ओ मेरे सनम
तू मेरा सबकुछ
तुझसे है हर ख़ुशी तुझसे ही हर गम
तू दिलबर मेरा
तू ही मेरी आशिक़ी तू ही मेरा जीवन...

Thursday, August 27, 2015

इसी पल मुझे मरना है...

पलकों के चिलमन तले
तेरी तस्वीर छुपाई है
मन के आईने में तुझे देख
मेरी प्रीत हौले से मुस्काई है 
तेरे ख्यालों ने ना जाने
मेरी ज़िन्दगी में कितने रंग बिखेरे हैं
और तेरी मुहौब्बत की खुशबू से
महका मेरा ये जीवन है 
अब बस तेरी बाहों में
टूटकर बिखरना है
यूँ तिल-तिल अब और नहीं जलना है
बस अब तेरे संग जीना नहीं तो
इसी पल मुझे मरना है...

Wednesday, August 26, 2015

मैं तो अब तेरी आत्मा तेरी रूह में हूँ...

तुझसे दूर नहीं हूँ
मैं तो तेरी धड़कन में हूँ
महसूस तो कर के देख
मैं तो तेरी साँसों में हूँ

पलकें भी जो बंद कर ले गर तू
मैं तो बसी तेरे हर ख्वाब में हूँ
ना समझना अलग हूँ तुझसे
मैं तो अब तेरी आत्मा तेरी रूह में हूँ...

Monday, August 24, 2015

जो नींद नहीं आँखों में मेरी...

जो नींद नहीं आँखों में मेरी
तू भी तो मेरे साथ के लिए तड़पता है
जो जल रही हूँ मैं विरह की आग में
तू भी तो तिल-तिल मेरी चाहत में जलता है
 
दर्द अगर मुझको सताता है
तेरी भी टीस का एहसास तो दिलाता है
गर डूब गई है मेरी चाहत गमे उल्फ़त में
तू भी तो तनहाई को हरपल गले लगाता है...

Saturday, August 22, 2015

मुहौब्बत अधूरी ही क्यों होती है...

तेरी खुशबू आज भी मेरी साँसों में है
तेरे स्पर्श का एहसास
अब भी मेरे रोम रोम में है
मेरी नज़रें तेरे सिवा
किसी और को ढूंढती ही नहीं
अधूरे हैं मेरे हर ख़्वाब
जो तू नहीं मेरे ख़्वाबों में..

दिल ने तुझे अपनी धड़कन बना लिया
मन के मंदिर में तुझको सजा लिया
अब आँखों में नमी हो या लबों पे हँसी
तू ही मेरी आरज़ू तू ही मेरी ज़िन्दगी
ये मुहौब्बत जितना दर्द देती है
तड़प उतनी ही गहरी होती है
मिल जाए तो ज़िन्दगी बहुत हसीन होती है
पर जाने ये मुहौब्बत अधूरी ही क्यों होती है...

Wednesday, August 19, 2015

अब ठंडी होने दे मेरे राख़ को...

तेरी बेरुखी ने मुझे पत्थर बना दिया
हर हंसी को आँखों की नमी 
और ज़िन्दगी को मौत से बदत्तर बना दिया...
तेरे अहम ने मेरी मुहौब्बत की चिता जला दी
अब सुलगते हुए मेरे जज़्बात पर 
अपने हाथ तो न सेंक...
है बस अब इतनी  सी इल्तज़ा 
की बस अब ठंडी होने दे मेरे राख़ को...

Friday, August 14, 2015

तेरी ईबादत में मरना चाहती हूँ...

ना तेरी आँखों का आँसू
ना तेरे दिल का दर्द बनना चाहती हूँ..
मैं बन के खुशबू तेरी साँसों में घुलना चाहती हूँ
तेरे दिल तेरी हर धड़कन को छूना चाहती हूँ..
मैं बस तेरी हूँ
तेरे इश्क़ में जीना और..
तेरी ईबादत में मरना चाहती हूँ...

Wednesday, August 12, 2015

तेरी आँखों में...

तेरी आँखों में अपना चेहरा
मैं हरपल देखना चाहती हूँ
तेरे लबों से अपना नाम
मैं हज़ारों बार सुनना चाहती हूँ

तेरे ख़्वाबों में  हरपल रहना
और तेरे ही ख़्वाब मैं देखना चाहती हूँ
तुझे बनाकर अपनी तक़दीर
मैं तेरी क़िस्मत बनना चाहती हूँ

तुझे अपने रोम रोम में
मैं बसाना चाहती हूँ
तेरे स्पर्ष से ख़ुद को
मैं संवारना चाहती हूँ

तेरी दिल की धड़कन
बन मैं धड़कना चाहती हूँ
बस तेरे लिए जीना और
तेरी ही चाहत में तड़पना चाहती हूँ...

Friday, August 7, 2015

मेरी मुहौब्बत इतनी मज़बूर है क्यों...

कभी पास तो कभी दूर है क्यों
मेरी मुहौब्बत इतनी मज़बूर है क्यों...
कभी हँसी तो कभी आँखों की नमी है क्यों
तू साथ है मेरे पास है फिर भी तेरी ही कमी है क्यों...


Wednesday, August 5, 2015

ये दिल..

 ये दिल..   
ना अब हँसना चाहता है
ना रोना चाहता है
बस अब तो खुद में ही गुम होना चाहता है
ना अब कुछ पाने को मचलता है
ना कुछ खोने से डरता है 
बस अब तो इन तनहाइयों को ही अपना साथी समझता है                      
ना अब  किसी के नाम पर धड़कता है
ना  किसी की साँसों में महकता है   
बस अब तो अपनी आखिरी साँस को ही तरसता है...

Tuesday, August 4, 2015

ऐ चाँद मुझे तू...

ऐ चाँद मुझे तू इतनी हसीन एक रात देना
हो ख़्वाब तो ख़्वाब सही पर हाथों में उनका हाथ देना..
लबों को लफ्ज़ नहीं पर साँसों को दिल की आवाज़ देना
बिखरी हो तेरी चाँदनी जहाँ तक मेरी मुहौब्बत को अपनी पनाह देना...

Monday, August 3, 2015

मैं एक कतरा भी नहीं...

मैं एक कतरा भी नहीं, और तिनका भी नहीं  
मैं एक साया भी नहीं, और हकीकत भी नहीं
मैं तेरी किस्मत भी नहीं,और तेरे हाथों की रेखा भी नहीं..
मैं तुझे तकलीफ देती हूँ, और अश्क देती हूँ
मैं तुझे ज़ख्म देती हूँ, और बहुत दर्द देती हूँ
मैं तेरी भी नहीं हूँ, और खुद की भी नहीं
मैं तुझमें से खुद को मिटा देना चाहती हूँ
और तुझे तेरी मुस्कुराहट लौटा देना चाहती हूँ..
तू भूल जाए मुझे दुआ करती हूँ
और भुला सके मेरी गलतियों को यह इल्तज़ा करती हूँ         
गर फिर भी याद आ जाऊँ कभी मन उदास ना करना
तेरी मुस्कराहट एहसान होगी, मुझपर यह एहसान ज़रूर करना...

Friday, July 31, 2015

कोई ना हो दरमियाँ...

आ मिल जा मुझसे कुछ इस तरह की कोई ना हो दरमियाँ...
ना लोग, ना ज़माना, ना बंदिशें, ना मज़बूरियाँ..
की हरपल तेरा इंतज़ार बहुत इंतज़ार कर रही हूँ मैं..                                           
छाया है सुरूर कुछ इस क़दर की दिल को हर वक़्त बेकरार कर रही हूँ मैं..

Thursday, July 30, 2015

मैं तेरी मीरा...

तुझ संग जुड़ी है कुछ ऐसे इन साँसों की धारा 
ना तोड़े से टूटेगी ना छोड़े से छूटेगी..
चाहे मिले मझधार मुझे या मिल जाए किनारा
ना ख्वाबों से हटेगी ना यादों से मिटेगी..
बह जाने दे चाहे जिस ओर बहती चली जाए
ये प्रेम की धारा..
मैं तेरी मीरा... तू मेरा मोहना प्यारा...

Wednesday, July 29, 2015

मुझे याद ना करना...

आज तेरे लब की मुस्कान हूँ मैं
कल मुझे आंसुओं से याद ना करना
आज जीती हूँ तेरा ही नाम ले कर
कल मेरी मौत से तू मेरी फरियाद ना करना
आज जो तू और मैं एक जान हैं           
कल जो ना रहूँ मैं तो खुद को अधूरा कह कर मुझे याद ना करना...

Tuesday, July 28, 2015

मेरे लबों को तेरे...

मेरे लबों को तेरे अधरों की प्यास है
हर सांस को बस तेरी ही आस है..  
तेरी बाँहों के दायरे में सिमट जाने की चाह है
और तेरे स्पर्श से भीग जाने की ख्वाहिश है..
आ मुझे समेट ले बाँहों में इस तरह
की रोम रोम से बस तेरी ही तेरी खुश्बू आए..
आ करीब इतने की बस तू ही तू हो
मैं तुझमें खो जाऊँ और तू मुझमें समा जाए..

Monday, July 27, 2015

ऐ चाँद..

ऐ चाँद है इतनी सी इल्तज़ा तुझसे,
मेरी आँखों की नमी से 
तू उनके ख़्वाब ना भिगो देना..
देना सारी सूनी रातें मुझे
पर उन्हें सुकून की नींद देना..

Friday, July 24, 2015

काश हमारी तक़दीर में...

काश हमारी तक़दीर में बस तारों से सजी एक रात हो
कोई ना हो दरमियां बस हाथों में तेरा हाथ हो
हर लफ्ज़ खामोश रहे बस साँसों की साँसों से बात हो
खुले आसमान की ठंडक में बस तेरी गर्माहट का एहसास हो
सिमट जाऊं तेरे आगोश में इस तरह की दूर भी रहूँ तो मेरी रूह बस तेरे ही पास हो...

Thursday, July 23, 2015

कभी मंज़िल खो गयी...

कभी मंज़िल खो गयी कभी रास्ते बदल गए 
कभी नज़र से दूर कभी अजनबी हो गए 
थाम के चलते थे जिन्हें वो हाथ जाने कैसे छूट गए 
दिल टूटा कुछ ऐसे कि हम ज़ार ज़ार बिखर गए 
अब दर्द की आह नहीं बस यादों की चुभन बाकि है 
और इन साँसों को अपनी रूह से एक आखिरी मिलन बाकि है