नज़रों से दूर सही
दिल के बहुत पास है तू
बिखरी हुई इस ज़िन्दगी में
मेरे जीने की आस है तू
दूर होगा भी तो कैसे
तुझसे जुड़ी मेरी हर साँस है
मेरी खामोशियों से पूछ तो
वो सुनती हर लम्हा तेरी आवाज़ है
तू इश्क़ नहीं मेरा
तू तो इबादत है मेरी
तुझे पाने की ज़िद नहीं
अब तो तुझमें खो जाने की चाहत है मेरी...
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