Dastaan Ye Dil Ki

Tuesday, December 6, 2016

है ज़ख्मो से छलनी, तू सहलाने की कोशिश ना कर...


 है ज़ख्मो से छलनी
तू सहलाने की कोशिश ना कर
तोड़ के इस दिल को मेरे
तू बहलाने की कोशिश ना कर

जीने दे मुझे अब तनहा
तू समझाने की कोशिश ना कर
पत्थऱ बना के मुझे
तू पिघलाने की कोशिश ना कर

हो गई राहें अब जुदा
तू मिलाने की कोशिश ना कर
उलझ गई रिश्तों की डोर जो
तू सुलझाने की कोशिश ना कर

बंद हो गए दरवाज़े दिलों के
तू खटखटाने की कोशिश ना कर
थमी हुई अब धड़कन को मेरी
तू फिर धड़काने की कोशिश ना कर

है ज़ख्मो से छलनी
तू सहलाने की कोशिश ना कर...

Tuesday, November 22, 2016

अब ज़हर ही सही, पीना सीख गई हूँ मैं...

अब ज़हर ही सही
पीना सीख गई हूँ मैं
तेरे बिना ही सही
जीना सीख गई हूँ मैं

अब अश्क़ ही सही
छुपाना सीख गई हूँ मैं
दिल में दर्द ही सही
पर मुस्कुराना सीख गई हूँ मैं

अब तनहा ही सही
चलना सीख गई हूँ मैं
ये दूरियाँ ही सही
सबकुछ भुलाना सीख गई हूँ मैं

अब ज़ख्म ही सही
ग़मे-मरहम लगाना सीख गई हूँ मैं
तेरी यादें ही सही
निशाने-ख़्वाब मिटाना सीख गई हूँ मैं

तू किसी और का ही सही
गैरों में आना सीख गई हूँ मैं
टूटा तो टूटा ही सही
दिल को समझाना सीख गई हूँ मैं

अब ज़हर ही सही
पीना सीख गई हूँ मैं
तेरे बिना ही सही
जीना सीख गई हूँ मैं...

Monday, October 3, 2016

दिल को है उनसे कुछ कहना...

तारों से कहना
खामोश ही रहना
कि नज़रों को है
उनसे कुछ कहना

लबों से कहना
बस मुस्कुराते रहना
कि धड़कनों को है
उनसे कुछ कहना

दूरियों से कहना
बस दूर ही रहना
कि अब नज़दीकियों को है
उनसे कुछ कहना

साँसों से कहना
मदहोश ही रहना
कि दिल को है
उनसे कुछ कहना

Thursday, September 22, 2016

समझ लेना मैं पास हूँ...

जब रात तारे सजाने लगे
समझ लेना मैं पास हूँ
जब ठंडी हवा मन बहकाने लगे
समझ लेना मैं पास हूँ

जब बाऱिश की बूंदें तनहा महसूस कराने लगे
समझ लेना मैं पास हूँ
जब बाहें किसी को छूना चाहें
समझ लेना मैं पास हूँ

जब लबों को लबों की प्यास की हो
समझ लेना मैं पास हूँ
जब धड़कनें दिल को धड़काने लगे
समझ लेना मैं पास हूँ

जब तेरे प्यार को मेरे प्यार से प्यार हो जाये
समझ लेना मैं पास हूँ
जब तेरी रुह मेरी रुह को पुकारने लगे
समझ लेना मैं पास हूँ...

Friday, August 26, 2016

जो ख़तम हो गए...

जो ख़तम हो गए 
उन साँसों को गिनने 
की कोशिश ना कर 

जो टूट के बिखर गए 
उन ख़्वाबों को जोड़ने 
की कोशिश ना कर 

जो रूठ के चले गए 
उन अपनों को बुलाने 
की कोशिश ना कर

जो हाथों से मिट गए 
उन लकीरों को तलाशने 
की कोशिश ना कर 

जो आँसू दे  गए 
उन यादों में जीने 
की कोशिश ना कर

जो ख़तम हो गए 
उन साँसों को गिनने 
की कोशिश ना कर...



Friday, August 12, 2016

अब तो मेरी मौत पर तू यकीन कर ले...

मिली जो नसीब में है दूरियाँ
अब उन्हें तू भी मंज़ूर कर ले
मैं जी रही हूँ मर कर के 
अब तो मेरी मौत पर यकीन कर ले 

किसी के नसीब में जिस्म होता है 
किसी को बस साया ही नसीब होता है 
मैं बस और बस तेरी यादों में हूँ 
अब तो मेरी रुह को रुख़सत कर दे

बनी रहे मुस्कान तेरे लबों पर 
अब तो बस यही नग़मा है पढ़ना 
है ये कुर्बत या ईबादत ना जान सकी मैं 
इस क़शमक़श से अब तो मुझे रिहा कर दे
ना रुसवाईयों से दामन भरना 
ना शिकायतों को दिल में रखना 
मुस्कुराती रहे दुनिया यूँ ही तेरी 
अब तो बस यही मुझे दुआ है करना
 
मिली जो नसीब में है दूरियाँ
अब उन्हें तू भी मंज़ूर कर ले
मैं जी रही हूँ मर कर के 
अब तो मेरी मौत पर तू यकीन कर ले...

Tuesday, July 19, 2016

डर लगता है, बहुत डर लगता है..

अब बस टूट के बिखर जाऊँ तो अच्छा है
फिर से रिश्तों में बंधने से डर लगता है
अब तो खामोश ही हो जाऊं तो अच्छा है..
की अपनों के तानों से बहुत डर लगता है..

अब बस अंधेरों में खो जाऊँ तो अच्छा है
फिर से उजालों में आने से डर लगता है..
अब तो खुद को मिटा दूँ तो अच्छा है
कि अब अपने ही साये से बहुत डर लगता है..

अब बस टूट के बिखर जाऊँ तो अच्छा है
फिर से रिश्तों में बंधने से डर लगता है..

Monday, June 27, 2016

क्यों याद बन के रह गया??

ख़्वाब बन के आया था तू
क्यों याद बन के रह गया
मेरी दुआओं में क्यों तू
बस फ़रियाद बन के रह गया

टूटती नहीं कभी जो
वो आस बन क रह गया
जिस्म में बची बस आखरी
जैसे साँस बन के रह गया

छू लेती क़ाश कभी मैं
पर तू एहसास बन के रह गया
गाती जो गीत मैं उस धुन की
तू बस साज़ बन के रह गया

गूंजती है कानों में हरदम जो
वो आवाज़ बन के रह गया
मेरी मुहौब्बत का ज़वाब था तू
फिर क्यों एक सवाल बन के रह गया...

Monday, May 2, 2016

बाँवरी भई मैं तो कबसे ओ रे पिया तेरी...

इश्क़ है तुझसे बेइन्तेहाँ 
मैं दे रही हूँ हरपल इम्तेहाँ 
तेरी नाराज़गियों को भी दिल से लगा लिया 
तेरी बेरुखियों को भी ले अपना बना लिया 

तू दूर रहे या पास मेरे 
साथ रहेंगे ये एहसास तेरे 
नहीं शिक़वा इन मज़बूरियों से मुझे 
नहीं शिक़ायत इन खामोशियों से तेरे 

मुझे मिला उतना जितना मेरा नसीब था 
दो पल के लिए ही सही जो तू मेरे करीब था 
ज़िन्दगी और माँगती भी तो देती मुझे क्या 
जो था मेरा सब मैंने तो तुझे ही दे दिया 

यादें तेरी जनमों जनम तक आती रहेंगी 
कभी मुस्कान तो कभी अश्क़ बन रुलाती रहेंगी 
सदियों तक मैं तेरा इंतज़ार सिर्फ इंतज़ार करुँगी 
कह ना सकी जो तुझसे वो बस यूँ ही बयान करुँगी 

कबतक रहेगी मुहौब्बत अधूरी मेरी
कबतक तड़पेगी यूँ ही चाहत मेरी 
आजा की ज्योत आस की बुझ ना जाए मेरी 
बाँवरी भई मैं तो कबसे ओ रे पिया तेरी...

Thursday, March 31, 2016

तेरी इबादत ही तो है, जीना-मरना मेरा...

तेरी आँखें ही तो है
दर्पन मेरा
तेरी साँसें ही तो है
जीवन मेरा
तेरी चाहत ही तो है
सपना मेरा
तेरी ईबादत ही तो है
जीना-मरना मेरा

रूह में यूँ बसा लिया तुझे...
कि अब और कोई मुझे
आरज़ू ही नहीं
पास हो तू या दूर हो मुझसे
कि अब तो रब से भी मुझे
कोई शिक़वा ही नहीं

कि ऐ सनम अब बस
तेरी इबादत ही तो है
जीना-मरना मेरा...

Tuesday, February 23, 2016

दिल काँच का टुकड़ा है...

दिल काँच का टुकड़ा है 
छनक के टूट गया 
अँखियों के झरोखों से 
हर ख़्वाब ही रूठ गया..
अश्क़ आँखों के जो सूखे ना होते 
तो हम आज भी रो लेते 
कारी रतियों में गर दर्द चीखा न करते 
तो दो पल हम भी सो लेते..
ज़िन्दगी फूलों से सजाने क्या चले 
काँटों से ज़ख्म गहरा लग गया 
खुशियों ने एक-एक कर मुँह मोड़ा 
और गम.. ये गम ठहरा रह गया..
गर आँधी पतझड़ की चली ना होती 
हम भी बहार बन मुस्कुरा लेते 
और जो दामन अपनों ने छोड़ा ना होता 
हम भी रंगों से ज़िन्दगी सजा लेते..
दिल काँच का टुकड़ा है 
छनक के टूट गया 
अँखियों के झरोखों से 
हर ख़्वाब ही रूठ गया...

Wednesday, February 10, 2016

वफ़ा चीज़ क्या है, तू क्या जाने ऐ-बेवफ़ा..

वफ़ा चीज़ क्या है
तू क्या जाने ऐ-बेवफ़ा
हम तो तेरी मुहौब्बत को
ख़्वाबों में भी निभा लेते हैं

तेरे इश्क़ की बंदगी ही
काफी है मेरे सनम
कितनी भी सदियाँ बीत जायें
ये दिल सिर्फ तुझे ही पुकारेगा

जान कैसे लेती है बेक़रारी
तू क्या जाने ऐ-बेदर्द
हम तो तेरी चाहत में
हर रोज़ मर के भी जी लेते हैं

तेरे इश्क़ की तड़प ही
काफी है ऐ-जानम
कितने भी टुकड़ों में टूट जाऊँ
क़तरा-क़तरा मेरा तेरा ही सजदा करेगा...

Wednesday, February 3, 2016

कहाँ ढूंढ़ रहा है तू मुझे???

तुझसे मेरे दिल की हर धड़कन
बातें हज़ार किया करती है
भुला के ये सुबहो-शाम
तेरे साथ दिन-रात जिया करती है

हाथों में तेरा हाथ लिए
तेरे ही ख़्वाब बुना करती है
बज उठते हैं दिल के तार-तार
जब धुन तेरे प्रीत की बजा करती है

तू गीत है मेरा साजन
और मैं ही तेरी साज़ हूँ
तू गा के तो देख ज़रा
मैं ही तेरी आवाज़ हूँ

महसूस तो कर के देख मुझे
मैं तेरी हर धड़कन तेरी हर साँस हूँ
कहाँ ढूंढ़ रहा है तू मुझे
मैं तो तेरे ही पास हूँ...

Tuesday, January 19, 2016

हो जाऊँ फ़ना अब तो तेरी उल्फत में...

तेरे इश्क़ की  ख़ुमारी से
अब फुर्सत नहीं मिलती
तेरी क़ुर्बत में ही अब तो
जन्नत है मुझे मिलती

हसरत-ए-इस-दिल की
चाहत है बस तू ही
ख़्वाहिश-ए-हर-आरज़ू की
अब मन्नत है बस तू ही

मिल गया जो हक़ मुझे
तुझे इश्क़ करने का खुदा से
गुमान मुझे तो अपने
मुक्क़द्दर पर हो गया

खोई रहूँ अब तो बस
हर लम्हा मैं तेरी मुहौब्बत में
है आरज़ू यही कि बस
हो जाऊँ फ़ना अब तो तेरी उल्फत में...