Dastaan Ye Dil Ki

Tuesday, February 23, 2016

दिल काँच का टुकड़ा है...

दिल काँच का टुकड़ा है 
छनक के टूट गया 
अँखियों के झरोखों से 
हर ख़्वाब ही रूठ गया..
अश्क़ आँखों के जो सूखे ना होते 
तो हम आज भी रो लेते 
कारी रतियों में गर दर्द चीखा न करते 
तो दो पल हम भी सो लेते..
ज़िन्दगी फूलों से सजाने क्या चले 
काँटों से ज़ख्म गहरा लग गया 
खुशियों ने एक-एक कर मुँह मोड़ा 
और गम.. ये गम ठहरा रह गया..
गर आँधी पतझड़ की चली ना होती 
हम भी बहार बन मुस्कुरा लेते 
और जो दामन अपनों ने छोड़ा ना होता 
हम भी रंगों से ज़िन्दगी सजा लेते..
दिल काँच का टुकड़ा है 
छनक के टूट गया 
अँखियों के झरोखों से 
हर ख़्वाब ही रूठ गया...

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