एक दिन माटी में मिल जाऊंगी
जल कर राख हो जाउंगी
तब जो छूने की कोशिश करोगे
हाथ में सिर्फ काले रंग दे जाऊंगी
आज जो साँसें चलती हैं मेरी
तुझे मेरे वज़ूद का एहसास नहीं
आज जो सामने हूँ मैं तेरे
तेरे पास मेरी पीड़ा का इलाज नहीं
एक दिन खामोश हो जाऊंगी
मैं अंधेरों के दामन में सो जाऊंगी
तब जो मेरी आवाज़ सुनने की कोशिश करोगे
मैं तुम्हें सिर्फ अपनी खामोशियाँ दे जाऊंगी
एक दिन माटी में मिल जाऊंगी
जल कर राख हो जाउंगी...
जल कर राख हो जाउंगी
तब जो छूने की कोशिश करोगे
हाथ में सिर्फ काले रंग दे जाऊंगी
आज जो साँसें चलती हैं मेरी
तुझे मेरे वज़ूद का एहसास नहीं
आज जो सामने हूँ मैं तेरे
तेरे पास मेरी पीड़ा का इलाज नहीं
एक दिन खामोश हो जाऊंगी
मैं अंधेरों के दामन में सो जाऊंगी
तब जो मेरी आवाज़ सुनने की कोशिश करोगे
मैं तुम्हें सिर्फ अपनी खामोशियाँ दे जाऊंगी
एक दिन माटी में मिल जाऊंगी
जल कर राख हो जाउंगी...
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