कभी मंज़िल खो गयी कभी रास्ते बदल गए
कभी नज़र से दूर कभी अजनबी हो गए
थाम के चलते थे जिन्हें वो हाथ जाने कैसे छूट गए
दिल टूटा कुछ ऐसे कि हम ज़ार ज़ार बिखर गए
अब दर्द की आह नहीं बस यादों की चुभन बाकि है
और इन साँसों को अपनी रूह से एक आखिरी मिलन बाकि है
कभी नज़र से दूर कभी अजनबी हो गए
थाम के चलते थे जिन्हें वो हाथ जाने कैसे छूट गए
दिल टूटा कुछ ऐसे कि हम ज़ार ज़ार बिखर गए
अब दर्द की आह नहीं बस यादों की चुभन बाकि है
और इन साँसों को अपनी रूह से एक आखिरी मिलन बाकि है
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