मेरे लबों को तेरे अधरों की प्यास है
हर सांस को बस तेरी ही आस है..
तेरी बाँहों के दायरे में सिमट जाने की चाह है
और तेरे स्पर्श से भीग जाने की ख्वाहिश है..
आ मुझे समेट ले बाँहों में इस तरह
की रोम रोम से बस तेरी ही तेरी खुश्बू आए..
आ करीब इतने की बस तू ही तू हो
मैं तुझमें खो जाऊँ और तू मुझमें समा जाए..
हर सांस को बस तेरी ही आस है..
तेरी बाँहों के दायरे में सिमट जाने की चाह है
और तेरे स्पर्श से भीग जाने की ख्वाहिश है..
आ मुझे समेट ले बाँहों में इस तरह
की रोम रोम से बस तेरी ही तेरी खुश्बू आए..
आ करीब इतने की बस तू ही तू हो
मैं तुझमें खो जाऊँ और तू मुझमें समा जाए..
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