काश हमारी तक़दीर में बस तारों से सजी एक रात हो
कोई ना हो दरमियां बस हाथों में तेरा हाथ हो
हर लफ्ज़ खामोश रहे बस साँसों की साँसों से बात हो
खुले आसमान की ठंडक में बस तेरी गर्माहट का एहसास हो
सिमट जाऊं तेरे आगोश में इस तरह की दूर भी रहूँ तो मेरी रूह बस तेरे ही पास हो...
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