Dastaan Ye Dil Ki

Tuesday, December 29, 2015

तू कल भी बेवफा था तू अब भी बेवफा है...

तू कल भी बेवफा था
तू अब भी बेवफा है
किया जो तुझपे यकीन
वो तो मेरी ख़ता है
तुझसे इश्क़ करने की
मिली क्या खूब ये सज़ा है
आग में जितनी तपिश नहीं
उतनी तपन मेरे जज़्बातों की चिता में है बरसात में जितनी नमी नहीं
उतनी बिलखते हुए मेरे अरमानों में है
तू क्या समझेगा मेरी मुहौब्बत को
तुझे महफिलें सजाने से फुर्सत नहीं
तू क्या देखेगा मेरे अश्कों को
तुझे औरों के संग मुस्कुराने से फुर्सत नहीं
जब अंगारों पे चल रही थी मैं
तूने दामन छुड़ा लिया
राह में काँटे क्या मिलने लगे
तूने तो रिश्ता ही भुला दिया
जा मुबारक़ हो तुझको तेरी बेवफाईयां
मैं खुश हूँ पाकर तुझसे मिली ये तन्हाईयाँ
तू कल भी बेवफा था
तू अब भी बेवफा है... 

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