Dastaan Ye Dil Ki

Thursday, December 10, 2015

अब खामोशियों से कह दो...

अब खामोशियों से कह दो
कि वो भी खामोश हो जाए
अब बस बहुत थक चुकी हूँ मैं

जूझते जज़्बातों से कह दो
कि ख़्वाहिश ना रखे कोई
अब टुकड़ों में टूट चुकी हूँ मैं

बिखरते हुऐ रिश्तों से कह दो 
कि जुड़ने की आस ना रखे कोई
अब तनहाइयों में खो चुकी हूँ मैं

धड़कते हुए इस दिल से कह दो
कि धड़कनों में आवाज़ ना रखे कोई
अब मौत के साये में सो चुकी हूँ मैं

अब खामोशियों से कह दो
कि वो भी खामोश हो जाए...

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