ये दिल..
ना अब हँसना चाहता है
ना रोना चाहता है
बस अब तो खुद में ही गुम होना चाहता है
ना अब कुछ पाने को मचलता है
ना कुछ खोने से डरता है
बस अब तो इन तनहाइयों को ही अपना साथी समझता है
ना अब किसी के नाम पर धड़कता है
ना किसी की साँसों में महकता है
बस अब तो अपनी आखिरी साँस को ही तरसता है...
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