जो नींद नहीं आँखों में मेरी
तू भी तो मेरे साथ के लिए तड़पता है
जो जल रही हूँ मैं विरह की आग में
तू भी तो तिल-तिल मेरी चाहत में जलता है
दर्द अगर मुझको सताता है
तेरी भी टीस का एहसास तो दिलाता है
गर डूब गई है मेरी चाहत गमे उल्फ़त में
तू भी तो तनहाई को हरपल गले लगाता है...
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