Dastaan Ye Dil Ki

Saturday, August 22, 2015

मुहौब्बत अधूरी ही क्यों होती है...

तेरी खुशबू आज भी मेरी साँसों में है
तेरे स्पर्श का एहसास
अब भी मेरे रोम रोम में है
मेरी नज़रें तेरे सिवा
किसी और को ढूंढती ही नहीं
अधूरे हैं मेरे हर ख़्वाब
जो तू नहीं मेरे ख़्वाबों में..

दिल ने तुझे अपनी धड़कन बना लिया
मन के मंदिर में तुझको सजा लिया
अब आँखों में नमी हो या लबों पे हँसी
तू ही मेरी आरज़ू तू ही मेरी ज़िन्दगी
ये मुहौब्बत जितना दर्द देती है
तड़प उतनी ही गहरी होती है
मिल जाए तो ज़िन्दगी बहुत हसीन होती है
पर जाने ये मुहौब्बत अधूरी ही क्यों होती है...

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